Shaitani Doll – Horror Story – शैतानी डॉल –
सोनिया भागते हुए, हफ्ते हफ्ते सिममि के कमरे से बाहर आई – “ राजीव राजीव , जल्दी आओ, जल्दी, म म म मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. वो डॉल वो वो डॉल राजीव, उसे कुछ हो गया है। हमारी सिममि कहीं नहीं मिल रही राजीव और वो डॉल पूरे कमरे में दीवार पे चल रही है।।
आज की कहानी – शैतानी doll.
लेखक – आनंद बंसल जी।
राजीव और सोनिया अभी एक साल पहले ही अपने नए घर में शिफ्ट हुए थे।
उनकी एकलौटी बेटी सिम्मी सारे दिन घर में धामा चौकड़ी मचाए रखती थी।
कुछ दिन बाद ही उसका नोवा birthday आ रहा था।
सोनिया और राजीव उसके birthday की तैयारी कर रहे थे।
वो दोनों उसकी पसंद की गुडिया gift pack करा के ले आए थे जिसे सोनिया ने छुपा के रख दिया था ये सोच के birthday वाले दिन निकाल के देंगे।
सिम्मी का इंतजार खत्म हुआ। आज saturday था, सिममि का बर्थ्डै। वो बहुत खुश थी। घर में पार्टी का महोल था। सभी guest कोई न कोई gift लाए थे। cake कटा और सबने सिम्मी को गिफ्ट्स दिए। सोनिया राजीव ने भी सिम्मी को वोही doll gift की।
रात के 11 बजे पार्टी खत्म होने के बाद सिम्मी ने कहा “मम्मी मैं सारे गिफ्ट्स खोल के देखू?
सोनिया ने कहा” नहीं सिममि, हम थक गए बेटा। कल देख लेंगे।
सिममि बोली – प्लीज मम्मी कम से कम doll तो खोल के देख लू प्लीज।
राजीव के इशारे पे सोनिया ने सिम्मी को इजाज़त दे दी।
सिम्मी अपनी मन पसंद गुड़िया देख के बहुत खुश हो गई और उसके साथ खेलने लगी।
तभी राजीव ने कहा – जाओ बेटा इसे अपने room में ले जाके सो जाओ
सिम्मी ने खुशी कहा- “ठीक है पापा मैं अपनी डॉल ‘प्रीती’ को लेके अपने room में जाके सो जाती हूं।
सिम्मी की बात सुनके दोनों राजीव और सोनिया हसने लगे के देखो चंद मिनटों में ही सिम्मी ने गुडिया का नाम भी रख दिया ।
कुछ ही देर में सिम्मी अपनी गुडिया प्रीती से बात करते करते सो गई ।
अगली सुबह sunday को करीब 10 बजे सोनिया ने सिम्मी के room का दरवाज़ा खोला, देखा सिम्मी वहां नही है, ’सिममि’ सिममि’ , उसने bathroom में देखा मगर वो वहां भी नही थी। घबराहट में उसने राजीव को आकार बताया की सिम्मी कहीं नहीं मिल रही। राजीव ने भी पूरे घर में देखा पर सिम्मी कही नही मिली। सोनिया का अब रो रो कर बुरा हाल हो गया था । राजीव भी घबरा गया था के आखिर ये क्या हुआ?
उधर सोनिया और राजीव परेशान थे और तभी उन्हे एक बच्चे के रोने की आवाज़ आती है, दोनों ने चारों तरफ़ देखा मगर सिम्मी कहीं भी नहीं थी, कोई और नहीं था। ये रोने की आवाज कहाँ से या रही है? कौन रो रहा है? पूरा घर देखा। सिर्फ आवाज आ रही थी। आवाज का पीछा करते करते वो सिममि के कमरे में पहुचे तो देखा आवाज़ तो उस डॉल में से आ रही है। ये क्या बला है।
सोनिया ने फौरन उस गुड़िया को उठाया तो डॉल और ज़ोर से रोने लागि। इसी घबराहट में सोनिया के हाथ से डॉल नीचे गिर गई। डॉल नीचे गिरते ही दीवार पर चलने लगी और झट से पलंग के नीचे घुस गई। सिममि भौचक्की रह गई। डर से थर थर कांपने लागि। डर के मारे उसने राजीव को बुलाया और सब कुछ बताया। राजीव ने पालग के नीचे झुक कर गुड़िया को देखना चाहा तो उसे सिममि पलंग के नीचे दुबकी हुई बेहोश पड़ी मिली।
राजीव ने सिममि को बाहर निकाला तो उसे ये देख छैन की सांस आई के साँसे चल रही हैं। hospital ले जाने पर डॉक्टर ने कहा ”आपकी बच्ची comma में है। इसे घर ले जाईए।
हम इंतजार के सिवा और कुछ नहीं कर सकते।“
घर पहुच कर सिममि को bed पर लिटा दिया। तभी पीछे से कुर्सी हिलने की आवाज आई। दोनों ने पीछे मुड़ के देखा तो डॉल कुर्सी हिलाते हिलाते हसी और बोली – ”तुम डॉक्टर के चक्कर में मत पड़ो। मैं इस घर में रह रही आत्मा हु और ये घर मेरा है। सिममि तो मेरी कब से दोस्त है। मैंने ही उससे कहा था डॉल की जिद करने को। ताकि मैं उस डॉल में घुसस सकु और तुम्हारी बेटी को अपने वक्ष में कर सकु।“ ये कहते ही डॉल कुसी से उठते हुए कूद कर सिममि पर जा बैठी। और उसका गल दबाने लागि। राजीव और सोनिया उससे विनती करने लगे की हमारी बेटी को छोड़ दो।
डॉल बोली – अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं सिममि को कभी आजाद नहीं करूंगी और ये ताउमर ऐसे ही जींद लाश की तरह पड़ी रहेगी।
राजीव और सोनिया उसकी बात सुन कर सुन्न रह गए।
राजीव ने डॉल से पूछा – घर तुम्हारा है। कैसे? क्या हुआ था तुम्हारे साथ? कैसे हुई तुम्हारी मौत? कौन सी बात माननी है तुम्हारी?
डॉल ने बताना शुरू किया – “बात कई साल पहले की है। जब ये घर बन रहा था, तो एक दिन रात को ठेकेदार मजदूरों से बात करने आया। मैं उस समय सड़क पर खेल रही थी। वो वहाँ ठेकेदार से बात करते समय कार चला बैठा और मैं उसके नीचे आ गई।
कार के नीचे तो मैं उसकी गलती से आई थी पर अगर वो मुझे hospital ले जाता तो मैं बच जाती। पर उस इंसान ने मुझे जिंदा ही यहीं, इसी घर के नीचे गाड़ दिया। किसी को कुछ खबर नहीं होने दी। मेरे गरीब माँ बाप भटकते रहे, मुझे dhundte रहे पर मैं कहीं नहीं मिली । ये वोही घर है। जहां मुझे गाड़ा गया था।
राजीव ने कहा “ये तो बहुत बुरा हुआ। मगर जिसे सज़ा मिलनी चाहिए वो तो खुला घूम रहा है। हम क्यू भुगत रहे हैं।
डॉल ने कहा – तुम्हारी बदकिस्मती है। मुझे तो अपना बदल पूरा करना है। जब तक मेरा बदल पूरा नहीं होगा मैं इसी तरह इस घर में रहने वाले लोगों को परेशान करती रहूँगी।
राजीव ने कहा – बदल तो तुम्हें ठेकेदार से लेना है। इसमे इस में रहने वाले लोगों की क्या गलती है। अगर मैं तुम्हारा साथ दु और उस ठेकेदार से बदल लेने में तो क्या तुम मेरे परिवार को और इस घर को छोड़ दोगी?
डॉल ज़ोर से हसी और बोली – अगर तूने मेरा बदल पूरा कर दिया तो मैं छोड़ दूँगी लेकिन अगर कोई चालाकी की और मेरा बदला अधूरा रह गया तो मैं तुम में से किसी को भी जींद नहीं छोड़ूँगी।
राजीव ने सोनिया से कहा – “हमे ये करना ही पड़ेगा। जिस ने गुनाह किया है, सज़ा भी उससे ही मिलनी चाहिए।
ये कह कर राजीव ने डॉल को gift wrap किया और ठेकेदार के दरवाजे के बाहर यहाँ छोड़ आया और सुबह का इंतजार करने लगा।
अगली सुबह दोनों अपनी बेटी के सिरहाने बैठ उसके जागने का इंजार कर रहे थे। जैसे ही सिममि ने धीमे से अपनी आँखें खोली, वो दोनों समझ गए की आत्मा ने अपना वादा पूरा किया और उनकी सिममि की आत्मा को आजाद कर दिया।
दोस्तों कभी कभी हम किसी और के पापों की सज़ा भुगतते हैं। अनहोनी किसी की भी ज़िंदगी में कभी भी दस्तक दे सकती है. राजीव ने अपने ठंडे दीमाग से situation को संभाला, आत्मा से किया अपना वादा पूरा किया और और हमेशा के लिए अपने परिवार को इस अनहोनी से छुटकारा दिलाया।