Crime Story – Tum Sirf Meri Ho

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Tum sirf Meri Ho – Crime Storyतुम सिर्फ मेरी हो – एक ऐसी कहानी जो सोचने पे मजबूर कर देगी के आपके आस पास के लोग सही तो हैं या नहीं ।। अभी कुछ ही दिनों पहले world population 8 billion हो गई , क्या आपने कभी गौर किया के इस संसार में हर आदमी अलग क्यूं है। किसी की भी psychology एक जैसी क्यू नहीं है। आज की हमारी कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसकी psychology इन 8 billion में शायद ही किसी से मिलती हो।

मैं, नही मैं अपना नाम नही बताऊंगा नही तो आप मुझे कोई न कोई पहचान देनी शुरू कर देंगे। इस Crime story में आप मुझे आशिक भी बुला सकते है पागल भी या फिर दोनो। शायद मैं ऐसा नहीं था और शायद अगर होऊंगा भी तो मुझे कभी पता नही चला। कई बार वक्त बताता है के आप कैसे है। और मैंने भी बस उन 7 दिनों में पहचाना की मैं, असल में कैसा हूं।

Crime story

आप सोचेंगे के पिछले 35 सालों में जो अपने बारे में नहीं जान पाया वो 4 दिनों में कैसे जान गया। वैसे आज से 7 साल पहले मैं ये तो जान गया था के मुझसे बड़ा आशिक़ कोई नहीं हो सकता। सुनीता के प्यार में मैं पागल था। उसको पाना, मेरी जिंदगी का एक मात्र मकसद था। मुझे पता था के सुनीता मुझसे उतनी मोहोब्बत नहीं करती जितना मैं करता हूं, पर फिर भी मुझे सुनीता ही चाहिए थी। Tum sirf meri ho – तुम सिर्फ मेरी हो, ये मैं उसे चीख चीख कर कहना चाहता था। उसको हासिल करने के लिए मैं कुछ भी कर सकता था। कुछ भी मतलब कुछ भी । राहुल से उसका बात करना मैं सहन कर लेता था पर ये आजकल के ज़माने में hug करके cheeks से cheeks मिलाना,, भला दोस्तों से क्या ऐसे मिला जाता हैं । ख़ून नही खौलता ? मेरी सुनीता को सिर्फ में ही हाथ लगा सकता था। सिर्फ में ही उसे छू सकता था। मन करता था के राहुल के सौ टुकड़े करके कुत्तों को डाल दूं पर उसकी किस्मत अच्छी थी के office ने उसे USA भेज दिया। अब मेरी software Engineer company में, मेरे अलावा सुनीता का कोई नही था, जिससे वो मन की बातें करती थी, जिसके साथ वो lunch करती थी। वो मज़ाक में कहती थी के अगर कोई नही मिलेगा तो तुझसे शादी कर लूंगी, और मैं कहता था के अगर तू न मिली तो किसी से भी शादी नही करूंगा। उसका मज़ाक और मेरा प्यार को सच होने में 2 साल लग गए और आखिर हमने शादी कर ही ली।

मुझे जो हासिल करना था वो मैने कर ही लिया चाहे उसके लिए मुझे अपने घर वालो से अलग ही क्यू ना होना पड़ गया।।अब हम अपने 2 bhk में बहुत खुश थे। दुनिया तो हमारे लिए कुछ थी ही नहीं क्यूंकि हमारी दुनिया सिर्फ हम दोनो थे। ये दुनिया सिर्फ हमारी ही रहती अगर राहुल USA से वापस नहीं आता। अरे आ गया तो आ गया पर हमारे घर पे DINNER पे आने की क्या ज़रूरत थी और सुनीता को भी उसको DINNER पे बुलाने की क्या ज़रूरत थी। फिर उसको गले लगा के गाल से गाल मिलाके मिलने की क्या ज़रूरत थी।

सुनीता बार बार ये क्यू भूल जाती है की अब वो शादीशुदा है । पहले भी जब उसने अपने दूर के cousin को बुलाया था मैने उससे तब भी कहा था के मुझे तुम्हारे cousin का यहां हमारे घर पे आना पसंद नही। Tum sirf meri ho(तुम सिर्फ मेरी हो) इस बात पे सुनीता का मुझसे लड़ना ठीक था। मैं उसका पति हूं मेरी पसंद ना पसंद को समझना उसकी duty हैं। अगर मैने पूछ लिया के फोन पे किस्से बात कर रही थी तो इसमें चिढ़ने वाली क्या बात है, मेरा हक है। ठीक है office में अपने colleague से बात करनी पड़ती है, पर काम से काम रखो ना, उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है, तुम्हारी जिंदगी में क्या चल रहा है क्या ज़रूरत है बताने की। घर पे सब कैसे है अरे तुम ठीक रहने दोगे तभी तो ठीक होगा। घुसे जाते है दूसरे की जिंदगी में दखल देने।।

अगर उस दिन राहुल ना आया होता तो मेरे हाथ से सुनीता को थप्पड़ भी ना पड़ा होता। लेकिन सुनीता भी कम थोड़ी ना थी मैने उसे एक थप्पड़ मारा तो उसने मुझे दो मार दिए।। पर सुनीता का ये कहना के मैं जिससे चाहे बात करूं जिससे चाहे मिलु जिसको चाहे घर पे बुलाऊं, तुम्हे इससे क्या ।

Crime Story – Tum Sirf Meri Ho

मुझे इसे क्या, और किसे मतलब हो सकता है। पति हूं मैं उसका, बेइंतेहान प्यार करना कोई crime थोड़े ही न है । नही ये नही बोलना चाहिए था सुनीता को। 5 साल के बाद भी मेरे प्यार को नहीं समझ पा रही तो कब समझेगी । किसी से भी मिलु, किसी को भी घर पे बुलाऊ आखिर क्या मतलब हैं ऐसी बात का । राहुल को उसने अपने आप को चुने कैसे दिया। अब सुनीता का शरीर गंदा हो चुका था। राहुल ने उसे छू कर गंदा कर दिया था। मुझे किसी भी तरह उसे साफ करना है। उसकी चुन्नी से जब मैंने उसके गले को साफ करने की कोशिश की तो उसको भागने की क्या ज़रूरत थी। उसको साफ करना बहुत ज़रूरी था । मैने कहा मुझे साफ़ करने दो , पर वो मान ही नहीं रही थी । मुझे सुनीता को दबोचना ही पड़ गया क्युकी जब तक उसका ये गंदा शरीर साफ नहीं हो जाता तब तक मैं उसे कैसे हाथ लगाता। पता नही वो क्यूं बार बार छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर थोड़ी देर बाद उसने कोशिश करनी बंद करदी। अब वो ज़मीन पे आराम से लेटी हुई थी जैसे कितनी चैन की नींद सो रही हो।

अब मैं भी आराम से उसके शरीर के एक एक करके साफ करना शुरू कर दिया। पर बार बार रगड़ने से भी राहुल के छूने के निशान जा ही नहीं रहे थे।

मैं क्या करता, मेरी मजबूरी थी के अपनी सुनीता के वो शरीर का हिस्सा ही हटा दूं जिसे उस राहुल ने छुआ था। रसोई से सबसे बड़ा चाकू लाके सबसे पहले जब मैने उसकी हथेली काटनी शुरू की तो सुनीता कुछ नही बोली, उसने चू तक नही की, मैं समझ गया था के वो मेरे दिल की बात जान गई । नही तो भला वो तो थोड़ा सा भी खून आने पे चिल्ला पड़ती थी। हथेली काटनी बहुत जरूरी थी , सबसे पहले राहुल से हाथ ही तो मिलाया था। जैसे ही उसकी हथेली काटी , मुझे उसके कंधे पे भी राहुल के छूने का निसान दिखाई दिया । मुझे उसका कंधा भी काटना पड़ा ।इस तरह जहां जहां राहुल के निशान दिखे वो वो अंग काटने शुरू कर दिए। तकरीबन 10-12 अंग काटने के बाद मुझे एक अलग सुकून मिलने लगा। वो खून की खुशबू, उसकी गरमाई का एहसास , वो हड्डियों का काटना। मुझे एक अलग ही सुकून का एहसास हो रहा था , ऐसा लग रहा था के सुनीता अब और मेरी होती जा रही है , अब उसे मुझसे कोई छीन नहीं सकता, कोई अपनी गंदी नज़र उसपे नहीं डाल सकता। अब जैसा मैं कहूंगा वो वैसा ही करेगी क्योंकि अब मैंने एक एक करके उसके सभी अंगों को काटना शुरू कर दिया। मुझे । जो जो अंग उसके शरीर से अलग कर रहा था वो वो अंग अब सिर्फ मेरे हो रहे थे। । ऐसे करते करते मैंने उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए। अब बचा था तो सिर्फ उसका सर। अब मैंने अपनी सुनीता की गर्दन को धीरे धीरे काटना शुरू किया। कितनी सुंदर, बिलकुल मखमल ही उसकी गर्दन काटने वक्त मुझे जितना अच्छा लग रहा था , वो में बयान नहीं कर सकता। सुनीता को अपना बनाने में मुझे अपनी भूख प्यास का पता ही नही चला। 2 दिन लग गए उसके अंग अंग को साफ़ करने में। सुनीता को भी गंदगी बिलकुल पसंद नहीं इसलिए मैं जल्दी से सारे पुराने अख़बार और पोछा लेके आया। अब सारे फर्श पे खून जो बिखरा पड़ा था । पहले फर्श को साफ करना था फिर सुनीता को भी तो बढ़िया से नहलाना था। फर्श साफ करने के बाद , उसके 36 टुकड़ों को एक एक कर मैं बाथरूम में ले गया। (kahaniyaan)

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Crime story – सभी टुकड़ों को साबुन से धोया। उसके लंबे बालों को शैंपू किया। ड्रायर किया । बस अब माथे पे बिंदिया लगानी रहे गई थी। अब मेरी सुनीता बिल्कुल वैसी ही लग रही थी जैसे शादी की रात पे बिलकुल पाक और पवित्र । पिछले 5 दिनों से सुनीता सिर्फ मेरे साथ है, उसी पुरानी सिर्फ हमारी दुनिया में। अभी ? अभी सुनीता कहां है, यही मेरे साथ बिस्तर पे लेटी हुई है।

हमारी crime story यहीं खत्म होती है। क्या होती है ऐसे दरिंदों की दीमागी हालत? हमारे कानून में कत्ल करने के बाद, लाश के साथ की गई हैवानियत की कोई सजा नहीं है। पर इसे नजरंदाज भी तो नहीं कर सकते।

हमारी ये Crime Story एक काल्पनिक कहानी है जो हाल में घटित Sharadha Murder case से प्रेरित है।

हमारी kahaniyaan उम्मीद है आपको पसंद आई।

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